कवि जन की पीड़ा गाता है
कवि जन की पीड़ा गाता है।
कलम मेरी अब तू ही बता
कवि जन की पीड़ा गाता है
भाव बड़े निराले तेरे,
सब कुछ तू पल में कह डालें।
बातों बातों में सब बात लिखे,
प्यार प्रेम की प्रीत लिखें।
श्रृंगार लिखे कभी मनोहारी,
विरह वेदना सारी लिख दे।
आंसुओं की गाथा लिख दे,
दिल की खुशी सारी कह दे।
गम की भी बरसाते लिख दे,
सीनाजोरी धोखाधड़ी।
झूठ,फरेब, सब सच लिख दे,
लड़ जातेजो वीर देश के।
उन की शौर्य गाथा लिख दे,
देश-विदेश की बातें लिख दे।
जीवन की सुंदर सौगाते लिखदे,
मन की सुंदर बातें लिख दे।
सोते को आज जगा दे तू,
मन में एक प्रकाश भर दे।
कृष्ण राधा का प्यार लिख दे,
राम का त्याग भी तू लिख दे।
बातें अपनी सहज लिखाने ,
कवि मै सुंदर भाव भर दे।
कलम मेरी अब तू ही बता,
लेखनी तेरी क्या-क्या लिख दे।
बीती हुई बातें तू लिख दे,
आज के सब हालात लिख दे।
भविष्य की तू बातें लिख दे,
कुछ वैज्ञानिक बातें लिख दे।
कलम मेरी अब तू ही बता,
न जाने तू क्या क्या लिख दे।
हर मन की पीड़ा तू लिख दे,
सुंदर भावों में उन्हें पिरो दे।
हर परिस्थिति का हाल लिख दे,
कवि जन की पीड़ा गाता है।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
9.7..२०२२
प्रतियोगिता हेतु
Aniya Rahman
11-Jul-2022 07:22 PM
Nyc
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Seema Priyadarshini sahay
11-Jul-2022 04:31 PM
बहुत खूबसूरत
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Chudhary
11-Jul-2022 11:48 AM
Osm
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